कठोपनिषद
Kathopnishad


यम -
यह परमात्मा न तो प्रवचन से न तो बुद्धि से और न ही बहुत सुनने से प्राप्त होते है उसको केवल वही प्राप्त कर पाता है जिसे वह खुद स्वीकार कर लेता है और उस साधक के समक्ष यथार्थ स्वरूप में प्रकट हो जाते है

Yam -
This God can be attained neither by preaching nor by intellect nor by listening a lot. He can be attained only by the one who accepts himself and appears before the seeker in his true form.