कठोपनिषद
Kathopnishad


यम -
वहाँ न तो सूर्य प्रकाशित होता है न चंद्रमा और तारो का समुदाय ही प्रकाशित होता है और न ये बिजलियाँ ही वहाँ प्रकाशित होती है फिर यह लौकिक अग्नि कैसे प्रकाशित हो सकता है क्योंकि उसके प्रकाशित होने पर ही उसी के प्रकाश से ऊपर बतलाए हुए सूर्यादि सब प्रकाशित होते है उसी के प्रकाश से यह संपूर्ण जगत प्रकाशित होता है

Yam -
There neither the sun is illuminated nor the community of the moon and the stars is published, nor is these lights published there, then how can this cosmic fire be illuminated because only when it is published, the sunlight above the light of the same light This entire world is published by the light of the same.