कठोपनिषद
Kathopnishad


यम -
वह अनिर्वचनीय परम सुख यह परमात्मा ही है यह ज्ञानीजन मानते है उसको किस प्रकार से मै भलीभाँति समझू क्या यह वह प्रकाशित होता है या अनुभव में आता है

Yam -
That indiscriminate supreme happiness is this divine happiness. It is considered a knowledgeable person, how do I understand it well, is it published or comes in experience.