कठोपनिषद
Kathopnishad

वल्ली 2
Valli 2

यम -
दो साधन है एक कल्याण का साधन और दूसरा प्रिय लगने वाले भोगो का साधन दोनों ही मनुष्य को अपनी अपनी और आकर्षित करते है जो कल्याण के साधन को ग्रहण करता है उसका कल्याण होता है और जो सांसारिक भोगो के साधन को स्वीकार करता है वह भ्रष्ट होता है

Yam -
There are two means, one is the means of welfare and the other is the means of pleasant pleasures, both attract the man in their own way. The one who accepts the means of welfare gets welfare and the one who accepts the means of worldly pleasures gets corrupted.