ईशावास्योपनिषद
Ishavasyopnishad
सच्चिदानन्दघन वह परब्रह्म सब प्रकार से पूर्ण है यह जगत भी पूर्ण ही है क्योंकि उस पूर्ण परब्रह्म से ही यह पूर्ण उत्पन्न हुआ है पूर्ण के पूर्ण को निकाल लेने पर भी पूर्ण ही बचा रहता है
The Supreme Brahman, full of consciousness and bliss, is complete in every way. This world is also complete because it has arisen from that perfect Supreme Brahman. Even after extracting the complete from the complete, only the complete remains.